क्या लड़कों को भी पीरियड्स आते हैं । मेल पीरियड्स

अब तक हम सब महिलाओं के पीरियड्स आने के बारे में जानते थे किंतु कुछ नए शोध में में मेल पीरियड्स (Male Periods) के बारे में भी खुलासा हुआ है जिसे सुनकर आप भी चौंक गए होंगे की क्या लड़कों को भी पीरियड्स होते हैं यानी मेल पीरियड्स जैसा भी कुछ होता हैं.
महिलाओं की तरह ही पुरुषों में भी हार्मोनल परिवर्तन होता हैं तथा प्रत्येक दिन उसके टेस्टोस्टेरोन का लेवल सुबह के समय बढ़ता है तथा शाम को कम होता जाता हैं और साथ ही टेस्टोस्टेरोन का स्तर हर दिन अलग-अलग भी हो सकता है. इस आधार पर कुछ विशेषज्ञ यह भी दावा करते हैं की पीरियड्स के दौरान पुरुष भी थकान, अवसाद, मूड स्विंग (Mood Swings) आदि का अनुभव करते हैं.

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क्या लड़कों को भी पीरियड आते हैं

इस शोधपत्र के अनुसार लडको को भी विभिन्न समयांतराल पर पीरियड्स जैसे लक्षणों का अनुभव होता है जो हार्मोन परिवर्तन की वजह से होता है. शोधकर्ताओं का मानना है की कई पुरुषों को भी इस वजह से थकान, अवसाद, मूड स्विंग जैसी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इनका यह भी मानना है की प्रत्येक पुरुषों के टेस्टोस्टेरोन का लेवल अलग अलग हो सकता है तथा जब यह हार्मोन परिवर्तित होते है तो पुरुषों को भी मासिक धर्म चक्र जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है. इस मासिक हार्मोनल परिवर्तन को मेल पीरियड्स, पुरुष माहवारी या लडको का मासिक धर्म चक्र कहते है तथा इसको चिकित्सकीय परिभाषा में इरिटेबल मेल सिंड्रोम (Irritable Male Syndrome या IMS) कहा जाता हैं.

लड़कों को भी पीरियड्स आने का कारण

मेल पीरियड्स का कारण हार्मोनल बदलाव को माना जाता हैं जिसमे टेस्टोस्टेरोन को मुख्य माना जाता हैं. टेस्टोस्टेरोन को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. टेस्टोस्टेरोन के लेवल को प्रभावित करने वाले कारकों को लड़कों के पीरियड्स आने का कारण माना जाता है जो निम्नलिखित हैं-
  • आईएमएस के कारण हेतु व्यक्ति की उम्र सबसे ज्यादा मायने रखती है क्योंकि सामान्य 30 साल की उम्र के बाद टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने लगता है.
  • ज्यादा तनाव की वजह से भी हार्मोनल परिवर्तन होने से लड़कों में महावारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
  • मसालेदार भोजन तथा इसकी वजह से वजन में बदलाव होने से भी टेस्टोस्टेरोन तथा अन्य हार्मोन में बदलाव होता है जिसकी वजह से लड़कों में मासिक धर्म जैसे लक्षण महसूस होते हैं.
  • किसी बीमारी के कारण भी हार्मोन परिवर्तित होते हैं जो लड़कों को भी पीरियड्स आने का कारण माना जाता हैं.
  • मानसिक रूप से परेशान रहने तथा अन्य मेंटली प्रॉब्लम होने की वजह से भी हार्मोन के स्तर में बदलाव होता रहता है जो मेल पीरियड्स का कारण बन सकते हैं.

मेल पीरियड्स के लक्षण क्या हैं

महिलाओं के पीरियड की तरह ही मेल पीरियड्स के लक्षण भी महसूस किए जाते हैं. हालांकि महिला के मासिक धर्म की तरह मेल पीरियड्स का कोई निश्चित समय अंतराल नहीं होता है तथा यह नियमित रूप से भी नहीं आता है. लड़कों को पीरियड्स आने के लक्षण निम्नलिखित माने जाते हैं-
  • मूड स्विंग होना
  • थकान महसूस होना
  • अवसाद या डिप्रेशन होना
  • चिंतित रहना
  • किसी काम में मन नहीं लगना
  • बार बार गुस्सा आना
  • भ्रमित रहना
  • संबंध बनाने की इच्छा कम होना
  • अतिसंवेदनशीलता आदि

लड़कों को पीरियड्स आने की थ्योरी का विरोध

हालाँकि लडको की माहवारी आने की थ्योरी का कोई चिकित्सीय प्रमाण नहीं है लेकिन कुछ शोध पत्रों में और सर्व में ऐसा पाया गया है कि पुरुष को भी मासिक धर्म जैसे लक्षण निश्चित समय अंतराल पर महसूस होते हैं.
लेकिन कुछ विशेषज्ञ इसके विरोध में यह तर्क देते हैं कि किसी महिला का पीरियड्स उसके प्राकृतिक प्रजनन चक्र के तहत डिंबोत्सर्जन की वजह से आता है लेकिन पुरुषों को तो ऐसे किसी डिंबोत्सर्जन का सामना नहीं करना पड़ता हैं तथा न ही उनके शरीर में गर्भाशय होता है. यानी नहीं तो पुरुष गर्भधारण कर सकते हैं और न ही उनके शरीर में इस तरह की व्यवस्था होती है जो हर महीने ब्लीडिंग द्वारा अनिषेचित अंडे को बाहर निकाल सकता है.
लेकिन जिन शोधकर्ताओं ने सर्वे किया की क्या लड़कों को भी पीरियड्स होते हैं, उन्होंने भी यही कहा है कि इसके तहत लड़कों को ब्लीडिंग आदि का सामना नहीं करना पड़ता है लेकिन महिलाओं की तरह ही थकान, मूड स्विंग, हाथ पैरों में दर्द, चिड़चिड़ापन जैसे मासिक धर्म के लक्षण का सामना करना पड़ता है. कुल मिलाकर इस विषय में भविष्य में और शोध कार्य होने पर निश्चित रूप से कुछ कहा जा सकता है.

सारांश

इस लेख में आप में जाना की क्या लड़कों को भी पीरियड्स होते हैं और मेल पीरियड्स जैसा भी कुछ होता है. काफी सर्वे में यह पाया गया कि हर चौथे आदमी को निश्चित समय अंतराल पर मासिक धर्म के जैसे लक्षण महसूस होता है. इसका कारण हार्मोन में होने वाले विभिन्न बदलाव को माना जाता है तथा इसके लक्षण महिलाओं के माहवारी की तरह ही होते हैं.

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