बाल मजदूरी पर हिंदी में कहानी भाग 4

बाल मजदूरी पर हिन्दी कहानी लेखन हेतु हमें कुछ सवाल प्राप्त हुए हैं जिन पर हमने पहले भी बाल श्रमिको की दुखदाई जिंदगी पर कहानी लेखन किया है।आज निम्न सवालों पर आधारित पोस्ट लिखी गई हैं।
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2- Bal majduri par hindi story likhiye.
3- Bal Mazdoori par hindi story in language in Hindi Font.
4- बाल मजदूरी पर हिंदी में कहानी लिखिए।
5- बाल मजदूरी पर हिन्दी में नाटक या ड्रामा स्क्रिप्ट लिखिए।

बाल मजदूरी पर हिन्दी कहानी भाग 4
Hindi story on child labour
कमलनाथ का परिवार एक गांव में रहता था । परिवार में पति पत्नी के अलावा तीन बच्चे थे। एक लडकी और दो लड़के । लड़के गांव के स्कूल में पढने जाते थे । एक 11 वर्ष का था और दूसरा 13 वर्ष का । उसकी लडकी सुरेखा 9 साल की भी नहीं हुई थी कि घर के कामकाज में मां का हाथ बंटाने लगी थी । अपना खेत न होने के कारण कमलनाथ मजदूरी करके घर का खर्च चलाता था, पर हर समय कर्ज में डूबा रहता था । गरीबी से तंग आकर उसने पांचवी कक्षा में पढ़ रहे बडे बेटे, जीतू की पढाई छुडवा दी और उसे काम पर लगा दिया । उसकी पत्नी, कमला देवी ने इसका विरोध तो किया पर कलमनाथ ने उसकी एक न सुनी ।
जीतूूू के काम पर लगने से परिवार की आर्थिक स्थिति में बहुत कम सुधार आया क्योकि उसे दिन में 10-11 घंटे काम के बदले मात्र 4200 रुपए महीने ही मिलते थे । फिर कमलनाथ ने छोटे बेटे बिदू की पढाई छुडवा दी और उसे भी एक होटल में काम पर लगा दिया ।
कमलनाथ की पत्नी कमला समजदार थी। वो बाल मजदूरी के कारण होने वाले नुकसान के बारे में जानती थी। उसने सुना था कि पंचायत और स्कूल की देखरेख करने वाली समितियों के अधिकारी बच्चों की शिक्षा केेे लिए जिम्मेदार और बाल श्रमिको द्वारा की जाने वाली बाल मजदूरी पर रोक लगाने हेतुु भी काम करते हैं । वह अपनी समस्या लेकर गांव प्रधान के पास गई।ग्राम प्रधान ने पंचायत समिति के सदस्यों और विद्यालय के प्रधान अध्यापक को भी बुला भेजा। सबने मिलकर कमला देवी की बात सुनी । प्रधान अध्यापक और समिति के सदस्यों का कहना था की जब जीतू और बिटु ने स्कूल छोडा तो दुख के साथ हैरानी भी हुई क्योंकि स्कूल की पढ़ाई नि: पुल्क है, बच्चों को दोपहर के भोजन के, साथ ड्रेस और किताबें भी मिलती हैं । फिर तुम उनसे बाल मजदूरी कियो कराना चाहते हो। कमला देवी ने कहा, "आप हमारे घर की हालत नहीं जानते । जब दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं हो तो बच्चों को काम पर भेजना ही पडता है । उन्हें बाल मजदूर बनाना पड़ता है।" तभी ग्राम प्रधान बोले, "कमला देवी, तुम एक काम क्यों नहीं करती । गांव में मनरेगा का जो काम चल रहा है उसमें मजदूरी क्यों नहीं कर लेती । तुम काम करोगी तो तुमारे बच्चो को बाल मजदूरी भी नहीं करनी पड़ेगी।" ग्राम प्रधान की बात को कमला देवी ने कुछ हिचकिचाहट तो साथ मान ली, क्योकि उसका पति, औरतों के घर के बाहर काम करनेे के खिलाफ था । 
ग्राम प्रधान और विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों ने उसे सांत्वना देते हुए कहा. "कमलनाथ को हम मना लेगें ।” और फिर प्रधानाध्यापक से बोले, "आप बच्चों को वापस स्कूल में भर्ती कराने का प्रबंध कर दीजिए ।
ग्राम प्रधान और विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों ने उसे सांत्वना देते हुए कहा. "कमलनाथ को हम मना लेगें ।” और फिर प्रधानाध्यापक से बोले, "आप बच्चों को वापस स्कूल में भर्ती कराने का प्रबंध कर दीजिए । "
कुछ समय बाद, कमला देवी भी मनरेगा में काम करने लगी । परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी तो गई । बच्चों से बाल मजदूरी का काम छुडाकर उन्हे फिर से स्कूल में भर्ती करा दिया गया। जीतू और बिदू का बचपन वापस लोट आया । बाल मजदूरी का अभिशाप से उन्हें बचा लिया गया । 
यहां पर तो ऐसा हो गया पर क्या सब गरीब बच्चे बाल मजदूरी उसकेकी अभीसाप से बच सकते हैं। यह आपकी और हमारी जिम्मेदारी है कि किसी भी बच्चे को उसके बचपन से मैहरूम नहीं रखा जाए।
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती हैं कि बाल मजदूरी एक अभिशाप है। छोटे बच्चों को बाल श्रमिक बना कर उनसे उनका बचपन नहीं छीनना चाहिए। इस कहानी को आप बाल मजदूरी पर हिन्दी नाटक या ड्रामा स्क्रिप्ट के रूप में मंचन कर सकते हो।

बाल मजदूरी पर अन्य कहानियां-
 बाल मजदूरी पर यह कहानी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं। बाल मजदूरी पर पहले भी कई कहानियां लिखी है जिन्हे आप यहां से पढ़ सकते हैं-
इस पोस्ट में हमने निम्नलिखित विषयों को कवर किया है। 
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